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एक समय था (कविता का शीर्षक)

एक समय था .. जब हम लोग अजनबी हुआ करते थे,

एक समय था . जब वो अजनबी होकर भी अपने से लगे करते था,

एक समय था . जब आंखें हमेसा सिर्फ उसी को ही ढूंढा करती थी,

एक समय था .. जब उसे न देखो तो चैन नहीं मिला करता था,

एक समय था .. जब सिर्फ आँखों ही आँखो से बात हुआ करती थी,

एक समय था .. जब उसकी एक झलक देख लेने से , बड़ी खुसी मिला करती थी,

एक समय था . जब दिल उससे बात करने के लिए बेचैन सा रहता था

एक समय था .. जब उसे फेसबुक पर सर्च करा करते थे और उसके न मिलने पर  बहोत अफ़सोस करा करते थे,  Read More

Love poems,कविता,हिंदी कविता

"तुमसे मिलने की आशा बहुत है,
मगर तुमसे मिलने कि रुत आती नहीं,
करूँ कितनी भी कोशिश दिल बहलाने की,
एक तेरी याद दिल से जाती नहीं ||"


"प्रेम कि राह में मुझको ले गई वो,
हाथ पकड़ के अपनी गली में ,
मैं तो चलता रहा उसी राह पर मगर,
अब मेरे पीछे वो है कि आती नहीं,
करूँ कितनी भी कोशिश दिल बहलाने की,
एक तेरी याद दिल से जाती नहीं ||"

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एक गांव में राम नाम का लड़का रहता था। वह बहुत गरीब था। उसका खाना पीना बहोत मुश्किल से चल पता था। वह लकड़ी काटकर अपना पालन पोसड कटा था।

राम हर रोज लकड़ी काटने जाता था।  और उस लकड़ी को बाजार में बेचता था। और पैसे कमाता था। उसी पैसे से वह अपने घर वालो का पालन पोसड करता था।

एक दिन वह लकड़ी काटने जंगल गया। एक पेड़ में लकड़ी काट रहा था। की उसे अचानक एक आवाज सुनाई दी। राम ने  पीछे  मुड़कर देखा तो उधर कोई नहीं था।

राम ने सोचा की ये मेरा वह्म होगा। यह सोचकर राम फिर से लकड़ी काटने लगा। एक बार फिर अचानक आवाज अति है। राम बोहोत दर  गया। और निचे उतरने लगा।

निचे उतरते ही राम जाने वाला ही था की उसे पेड़ से आवाज आई। तो राम ने पेड़ के सामने देखा तो पेड़ से आवाज  आ रही थी। राम यह देखकर सोच में पढ़ गया। और सोचने लगा ऐसा कैसे हो सकता है। की पेड़ बोल कैसे सकता है।

 पेड़ : पेड़ से  फिर आवाज आई की मुझे मत काटो मै आपको बोहोत कुछ दे सकता हु। और राम से कहा तुम दूसरे पेड़ को काट लो Click hear


एक गांव था।  उस गांव का नाम रामपुर था उस गांव  में सुनीता नाम की लड़की रहती थी। वह जादू टोना करती थी।  वह बच्चो को जादू से अपने बस में कर के उनकी बलि दे देती थी।

और किसी को पता नहीं चलता था।  यह बात किसी को भी नहीं पता थी की सुनीता जादू टोना करती है। धीरे धीरे रामपुर गांव के बच्चे काम होने लगे।

सुनीता धीरे धीरे करके सरे बच्चो को मरती जा रही थी।  गांव बाले बोहोत परेशान थे। उन्हें पता नहीं चल पा रहा था की ऐसा कौन कर रहा है।

जितने छोटे बच्चे थे सुनीता एक एक कर के उन सरे बच्चो को मरती जा रही थी।
तब गांव वालो ने रत में पहरा देने लगे। क्योकि सुनीता रात में ही बच्चो को बस में करती थी।

जब गांव में  गांव वालो ने पहरा देना चालू किया तो सुनीता को मालूम पड़ा। की गांव वाले पहरा देना चालू किये है। तो सुनीता ने बच्चो को ले जाना काम किया।

लेकिन सुनीता की जादू टोने वाली बिधि पूरी नहीं हो पा रही थी। तो सुनीता ने बच्चो को चोरी करने का निश्चय किया। 

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टिकरी नाम का एक गांव है। जो हमीरपुर जिले में है। उस गांव के आदमी बोहोत अच्छे है। उनमे से मै भी हू जो इस कहानी को लिख रहा हू। टिकरी गांव में होली बोहोत अच्छी तरह से मनाते  है। इस  गांव के सभी बूढ़े और बच्चे होलिका दहन में जाते थे।

हर साल का यही तरीका था। की सब लोग होलिका दहन में जाते थे। और खूब सारा मजा करते थे।
टाइम बदलता गया। और बड़े लोगो ने जाना धीरे धीरे बंद कर दिया। पर होलिका दहन तो होता ही रहेगा। धीरे धीरे लोगो ने जाना ही जैसे बंद कर दिया था।

अब उस तरह से होली नहीं मनाते  है।  पर होली तो मनती  ही थी। अब (२०२० ) का टाइम है। और आज 09 मार्च 2020 है। टाइम 11:00  बजे का है।

और आज होलिका दहन है। और हर साल के तरह भी होलिका दहन होगा। पर इस साल होलिका दहन में कोई सोर नहीं ज्यादा न ज्यादा लोग। बस गिने चुने लोग थे।

जिनका नाम (अनुरुद्ध ,सुधाकर ,प्रभाकर ,अरबिन्द ,और जो ये कहानी लिख रहा है यानि की मै कौशलेन्द्र कुमार) हम लोग वैसे तो भाई ही है सब लोग पर उससे कई ज्यादा दोस्त है।

हाला की और तीन चार लोग भी थे। हल लोग साथ में मिलकर होलिका दहन जाने के लिए तैयार थे। और शोर मचा रहे थे। कोई बड़ा था नहीं हम ही लोग छोटे छोटे थे। Click hear


नमस्कार दोस्तों आज फिर मै आपकी सेवा में हाजिर हू। मेरा नाम कौशलेन्द्र कुमार है। मै आज सच्ची प्रेरणादायक कहानी लेकर आया हूँ। किसी कारण से मै उनका नाम नहीं बता सकता हूँ उसके लिए मै आपसे माफी मांगता हू। पर ये सच्ची कहानी है और सच्चा संघर्ष है उनके जीवन का। बड़े ध्यान से सुनना सायद उन्होंने अपनी कहानी आपको सुनाई हो।

एक गांव में दो लड़के रहते हैं। वे बड़े गरीब थे। वो दोनों भाई थे। उनके पिता भी बहुत गरीब थे की वो एक वक्त का खाना भी सही से नहीं खा पते थे।


दोनों लड़के बड़े होनहार थे। दोनों ने ये सोच रखा था कि हमारे पिता जैसे रहे पर हम लोग कुछ अच्छा करेंगे और अपने जीवन को अच्छा बनायेगे।


यहां तक ​​उनमे से एक लड़के ने अपनी जिंदगी अच्छी करने के लिए उन्होंने सड़क में भी काम किया है। पड़ने के लिए और खाने के लिए पैसे कमाए है।

और दूसरे के पास सही से किताब भी नहीं थी की वह सही से पढ़ाई कर सके पर उस लड़के ने हार नहीं मानी और लगे रहे। वो हाईस्कूल में एक बार फेल भी हुई किताब ना होने के बजह से उनके पास पैसे ही नहीं थे पर वो लगे रहे।


उन्होंने हार नहीं मानी। दूसरी बार में हाईस्कूल उन्होंने कर लिया था। वह भी उनके किसी दोस्त ने एक किताब चुराई थी। उसी में उन्होंने हाईस्कूल पास किया था। Click hear

Kaushlendra Yadav

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